EUR / USD और GBP / USD: फेड के आगामी निर्णय का डॉलर पर असर पड़ेगा। बैंक ऑफ इंग्लैंड अपनी वित्तीय नीति में बदलाव कर सकता है।

आज का मुख्य खबर है फेड का इंटरेस्ट रेट के प्रति निर्णय, और कोरोनोवायरस महामारी के बाद आर्थिक सुधार की संभावनाओं का आकलन, जो कि अभी के डेटा से पता चलता है की पूरी तरह खत्म नही हुआ है।

कई अर्थशास्त्री उम्मीद कर रहे हैं को फेड कोई ऐसी एक सॉफ्ट मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा जिसका लक्ष्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को कोरोनावायरस महामारी के प्रभावों से बचाने का होगा। हालाँकि, ऐसे किसी निर्णय से अमेरिकी डॉलर पर दवाब पड़ेगा, जो हाल ही में चीन के साथ व्यापार संबंधों के कमजोर होने, देश में अशांति और रिस्की एसेट की बढ़ती मांग जैसी समस्याओं के कारण घट रहा है। फिर भी अधिक महत्वपूर्ण बात फेड के द्वारा दिये गये संकेत हैं जो आर्थिक रिकवरी के शार्ट-टर्म डायनामिक्स को लेकर हैं। नपे-तुले बयान और आक्रामक नरम नीतियों के कारण अमेरिकी डॉलर पर नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ेगा।

EUR/USD जोड़े के अभी के रेट में रिस्की एसेट की बढ़ी हुई मांग को भी ध्यान में रखा गया है। कोट्स को जारी रखने के लिये नये इंसेंटिव और बैंचमार्क की जरूरत होती है। अफवाह तो यह भी उड़ रही है कि फेड ट्रेज़री के यील्ड कर्व पर नियंत्रण स्थापित करने की योजना बना रहा है, लेकिन यह निर्णय फलीभूत हो पायेगा इस बात की कम ही संभावना है।

कोरोनावायरस के संबंध में, जून की शुरुआत में नए संक्रमणों की संख्या में वृद्धि देखी गई। इस वृद्धि को 14 स्टेट्स में दर्ज किया गया, खासकर अमेरिका के गाँव के इलाकों में यह ज्यादा पाया जाता है। यह न सिर्फ अमरीकी प्रशासन की दिक्कतों को बढ़ा रहा है बल्कि अमरीकी डॉलर के रेट को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

मैक्रोइकनोमिक आंकड़ो की बात करें तो कल प्रकाशित हुए रिपोर्ट से यह पता चला कि अमेरिका में क्वारंटाइन प्रतिबंधों में आई ढील के कारण बिज़नेस सेंटीमेंट में भी सुधार देखने को मिला है। अतः, NFIB के डेटा के अनुसार, मई 2020 में स्माल बिज़नेस ऑप्टिमिसम इंडेक्स बढ़ कर 94.4 पॉइंट्स तक पहुँच गया, यह अप्रैल में 90 पॉइंट्स पर था। अर्थशास्त्रियों ने 92.0 की बढ़त का अनुमान लगाया था, इसीलिये अभी के वैल्यूज वास्तव में चौकाने वाले थे। खैर, अच्छी भावना से अमेरिकी छोटी कम्पनी की राय के बारे में पता चलता है, यह प्राइवेट सेक्टर की करीब आधी नौकरियों के लिये जिम्मेदार है। इस बात की अधिक संभावना है की इस ट्रेंड से अमेरिकी लेबर मार्केट में सुधार देखने को मिलेगा जिसमे इस साल मई में अच्छी खासी वृद्धि देखने को मिली।

इसी बीच रिटेल इकोनॉमिस्ट और गोल्डमैन सैच के द्वारा अमेरिका में रेटेल्स सेल्स पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई लेकिन इसका असर अमेरिकी डॉलर पर नही दिखा। रिपोर्ट के अनुसार, मई 31 से जून 6 के बीच इंडेक्स में करीब 4.4% की वृद्धि देखने को मिली, लेकिन यह पिछले साल की तुलना में 12.6% से गिर गया। वहीं दूसरी तरफ रेडबूक के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार रिटेल सेल जून के पहले सप्ताह में 3.2% से गिर गया, और साल दर साल के आंकड़ो के अनुसार यह 9.7% से नीचे गिर गया।

IBP/TIPP पोल जो अमरीकी ग्राहकों की संवेदना को दर्शाता है, जून के महीने में उसमे भी 5.4% की कमी पाई गई, यह अब 47.0 पॉइंट पर है। इस इंडेक्स का वैल्यू जब 50 से कम हो जाये तो समझ लीजिए कि लोगों से नकारात्मक संकेत मिल रहे हैं और इसका मुख्य कारण अभी भी कोरोनोवायरस महामारी है।

जहाँ तक EUR/USD जोड़े के टेक्निकल पिक्चर की बात है, अनुमान है कि बुल्स आज अपने ऊपर के ट्रेंड को जारी रखने की पूरी कोशिश करेंगे लेकिन फ़ेडरल रिज़र्व के निर्णय से इसपर असर पड़ेगा। सेंट्रल बैंक में अमेरिकी लेबर मार्केट में हुए सुधार का असर बिल्कुल दिखाई पड़ेगा, और इस दिशा में वे अपने कुछ पूर्वानुमानों को संशोधित करेगा। ऐसी स्थिति में अमेरिकी डॉलर के रेट में बढ़त देखने को मिल सकती है। इसके साथ हीं अगर अमेरिका में इन्फ्लेशन का डेटा अनुमान के हिंसाब से ही आया तो इंटरेस्ट रेट काफी लंबे समय के लिए जीरो लेवल पर रह सकते हैं। रेसिस्टेंस लेवल 1.1380 से ब्रेकआउट होने पर हीं रिस्की एसेट 1.1430 और 1.1490 के एरिया के हाई पर पहुँचेगा, लेकिन अगर बुल इसे प्राप्त करने में अक्षम रहते हैं तो कोट्स 1.1300 के लेवल पर पहुँच जायेगा।

GBP / USD

UK और EU के बीच ट्रेड वार्ता में प्रगति की कमी के बावजूद ब्रिटिश पाउंड अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत बना हुआ है। कई मार्केट पार्टिसिपेंट्स के अनुसार बैंक ऑफ इंग्लैंड अपने बॉन्ड परचेस प्रोग्राम को और £100 बिलियन से बढ़ाने वाला है, इससे अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा और पौंड के रेट में तेजी आयेगी। इस पैसे से न सिर्फ UK की अर्थव्यवस्था के अलग अलग सेक्टर्स को मदद मिलेगी बल्कि इससे UK के बजट डेफिसिट में भी कमी दिखेगी, यह कोरोनोवायरस महामारी से जुड़ी लागतों के कारण काफी बढ़ गया है।

बैंक ऑफ इंग्लैंड इंटरेस्ट रेट को नेगेटिव वैल्यूज तक कम कर सकता है, लेकिन इससे पहले की यह संभव हो सके रेगूलेटर दूसरे उपायों को भी आजमाएगा जैसे कि सरकारी बॉन्ड के यील्ड कर्व को कम करना। मार्च 24 से, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने £144 बिलियन या जीडीपी का 6.5% खर्च कर दिया है सरकारी बॉन्ड की खरीद में। बॉन्ड परचेस में बढ़ोतरी से यील्ड के विकास से बचने में मदद मिलेगी।

कोरोनावायरस के संबंध में अगर प्रशासन और नागरिक चौकस नही रहते हैं तो UK में दूसरी लहर के आने की आशंका है। लंदन इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल डिजीज के अनुसार, अगर ब्रिटिश अधिकारी पूरी तरह से स्कूलों और काम को फिर से शुरू करते हैं, और सभी सामाजिक दूरी के उपायों को रद्द करते हैं, तो ब्रिटेन में महामारी 2.5 गुना अधिक मजबूत हो जायेगी। देश मे क्वारंटाइन प्रतिबंधों को धीरे धीरे हटाया जा रहा है, और शैक्षिक संस्थान और दुकान में काम शुरू हो चुका है।

GBP/USD जोड़े के टेक्निकल पिक्चर की बात करें तो पौंड की मांग काफी ज्यादा दिख रही है, इसका मूल कारण कमज़ोर पड़ता हुआ अमेरिकी डॉलर है। रेसिस्टेंस लेवल 1.2760 से ब्रेकआउट से कोट्स 1.2840 और 1.2910 की ऊँचाई पर पहुँच जायेंगे, लेकिन अगर बियर लड़ना जारी रखते हैं और इंटरेस्ट रेट पर फेड के निर्णय से रिस्की एसेट की मांग में कमी आती है तो सबसे करीबी सपोर्ट लेवल जिसपर बुल भरोसा कर सकते हैं वह 1.2620 और 1.2530 के एरिया के बीच रहेगा।